नई दिल्ली, एजेंसी। दिल्ली की एक अदालत ने अपने समक्ष कथित रूप से भ्रामक बयान देने के लिए दिल्ली पुलिस के खिलाफ सोमवार को कारण बताओ नोटिस जारी किया। पुलिस का यह बयान पासपोर्ट नवीनीकरण के दौरान कथित भ्रष्टाचार को लेकर सुशील अंसल पर मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से जुड़ा है। सुशील अंसल वर्ष 1997 के उपहार सिनेमा मामले के दोषी हैं जिसमें 59 लोगों की मौत हो गई थी।
शिकायतकर्ता के आवेदन पर अदालत ने मामले के जांच अधिकारी (आईओ) को नोटिस जारी किया। शिकायत में आरोप लगाया गया है कि दिल्ली के उपराज्यपाल ने पिछले साल 16 सितंबर को आवश्यक मंजूरी दे दी थी, जिसके बारे में उसी दिन डीसीपी मुख्यालय को सूचित किया गया था।
शिकायत के मुताबिक, लेकिन पुलिस ने अदालत के समक्ष 31 जनवरी, 2022 को कहा कि मंजूरी की मांग करने वाला उसका आवेदन उपराज्यपाल के कार्यालय में लंबित है। पुलिस ने दस्तावेजों को तैयार करने के लिए और अधिक समय मांगा।
अदालत ने मंजूरी हासिल करने के लिए जांच अधिकारी को तीन सप्ताह का समय दिया था। अदालत ने सोमवार को यह आदेश तब पारित किया जब शिकायतकर्ता और उपहार त्रासदी (एवीयूटी) के पीड़ितों के संघ (एवीयूटी) की अध्यक्ष नीलम कृष्णमूर्ति ने उसे तथ्यों से अवगत कराया।
नीलम कृष्णमूर्ति ने अदालत को बताया कि 14 फरवरी, 2022 को उनके द्वारा दायर एक आरटीआई आवेदन के जवाब में बिल्कुल अलग विवरण सामने आए थे। एवीयूटी की ओर से वरिष्ठ वकील विकास पाहवा ने कहा कि अदालत में दायर आरोपपत्र केवल भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 177 (झूठी सूचना देना), धारा 181 और पासपोर्ट कानून की धारा 12 (राष्ट्रीयता के बारे में जानकारी छिपाकर पासपोर्ट प्राप्त करना) के बारें में था, लेकिन 22 मई, 2020 को उपराज्यपाल के कार्यालय में दायर आरोपत्र का मसौदा धारा 420 (धोखाधड़ी), 177, 181, 192 (झूठे सबूत देना), 197 (झूठा प्रमाण पत्र जारी करना) और पासपोर्ट अधिनियम की धारा 12 के तहत था। वकील ने अदालत में कहा कि यह जानकर हैरानी होती है कि जब आरोपपत्र वास्तविक रूप से अदालत में दायर किया गया था, तो इस तरह की महत्वपूर्ण धाराओं को कैसे हटा दिया गया।
मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट पंकज शर्मा ने जांच अधिकारी को नोटिस जारी करके मामले की अगली सुनवाई की तारीख चार मार्च तक जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। पुलिस ने पहले अपने आरोप पत्र में अदालत को बताया था कि अंसल ने अपने पासपोर्ट का नवीनीकरण कराने के दौरान अपने खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की जानकारी छिपाकर अधिकारियों के साथ धोखाधड़ी की।
पुलिस ने अपनी आठ पन्नों की अंतिम रिपोर्ट में दावा किया कि अंसल ने सरकारी प्राधिकारी को यह शपथ ले कर गुमराह किया कि किसी भी अदालत ने उसे किसी भी आपराधिक मामले में दोषी नहीं ठहराया है।