देहरादूनः राज्य स्वास्थ्य प्राधिकरण की ओर से संचालित आयुष्मान योजना उत्तराखंड में यूं ही परवान नहीं चढ़ रही है, इसके पीछे योजना से जुड़े मानव संसाधनों में सेवा का भाव, समर्पण और अपनी जिम्मेदारियों के प्रति प्रतिबद्धता का भाव जाहिर तौर पर काम कर रहा है। लाभार्थी इस उपकार के लिए ईश्वर का धन्यवाद करने के साथ ही योजना के पीछे की सोच और उसकी प्रतिबद्धताओ का तेहदिल से आभार प्रकट कर रहे हैं।

गत दिवस खटीमा के सिविल अस्पताल में तैनात आयुष्मान मित्र ने अस्पताल से दस किमी दूर लाभार्थी के घर जाकर उसका आयुष्मान कार्ड बनाया। वाकया प्रथमदृष्टया सामान्य सा जरूर लग रहा है लेकिन क्लाइमेक्स इसका बहुत ही जोरदार रहा।
कहानी इस तरह है कि खटीमा में तहसील दिवस पर श्रीपुर विचवा गांव निवासी मंजू देवी ने बताया कि उसके पति भानु राम बीमार हैं और उनका आयुष्मान कार्ड नहीं बना है। वजह यह है कि अस्वस्थता के कारण वह शिविर या किसी केंद्र में जाने में समर्थ नहीं हैं।

महिला की इस बात पर खटीमा अस्पताल में आयुष्मान मित्र की जिम्मेदारी निभा रहे मो. फैईम व ब्लाक कार्यक्रम प्रबंधक ने उन्हें घर पर ही कार्ड बनाने का भरोसा दिया। और आयुष्मान योजना के यह कार्मिक 10 किमी दूर मंजूदेवी के गांव श्रीपुर बिचवा पहुंचे। वहां योजना के कार्मिकों ने बुजुर्ग भानुराम जी का आयुष्मान कार्ड बनाया। साथ ही उन्होंने कार्ड का स्वास्थ्य लाभ कैसे लेना है इसके बारे में उन्हें विस्तार से जानकारी दी। कहा कि इस कार्ड के जरिए आप उपचार के लिए किसी भी अस्पताल में जाएंगे, हर जगह आप की मदद के आयुष्मान मित्र तत्पर मिलेंगे।

एक तो घर पर ही भानुराम का आयुष्मान कार्ड बन गया, और उधर उपचार के दौरान अस्पताल में भी हर संभव मदद के लिए तैयार मिलने के भरोसे पर मंजू देवी व उसके परिजन भी गदगद हो उठे। नाउम्मीदी जब एकायक उम्मीद में बदल जाए तो तब भावनाओं का वेग इतना तीव्र होता है कि शब्द लडखड़ाने लगते हैं। मौके पर कुछ ऐसा ही मंजर रहा। अस्वस्थता की लाचारी झेल रहे इस दंपति ने खुले मन से आयुष्मान योजना से जुड़े सभी लोगों का आभार जताते हुए कहा कि बेटा जुग जुग जियो।

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