-विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद प्रत्याशियों के माथे पर चिंता की लकीरें, फिर भी कर रहे जीत का दावा

जयन्त प्रतिनिधि।

कोटद्वार : विधानसभा चुनाव संपन्न होने के बाद जहां राजनीतिक दल व निर्दलीय प्रत्याशी अपनी-अपनी जीत का दावा करते हुए वोटों की गुणा-भाग में लगे हुए हैं। वहीं बाजार में भी सभी एक ही चर्चा कर रहे हैं कि आखिर इस बार किसके सिर विधायक का ताज सजने वाला है। हालांकि, राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार का चुनाव एक तरफा नहीं रहने वाला है। उनका कहना है कि भाजपा-कांग्रेस के गणित को इस बार आम आदमी पार्टी व निर्दलीय प्रत्याशियों ने बिगाड़ कर रख दिया है।

आजकल बाजार में हर चाय व पान की दुकान पर एक ही चर्चा आम जनता के बीच चल रही है कि इस बार कौन कोटद्वार का विधायक बनेगा। कोई कांग्रेस प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह नेगी के जीतने का दावा कर रहा है तो कोई भाजपा प्रत्याशी रितु खंडूड़ी भूषण के सिर विधायक का ताज सजने की बात कह रहा है। इसके अलावा कुछ लोग निर्दलीय प्रत्याशी धीरेंद्र चौहान व आम आदमी पार्टी के अरविंद वर्मा के जीत के दावे भी कर रहे हैं। हालांकि, इस बार जो जनता के रुझान आ रहे हैं, उससे साफ है कि मुकाबला एक तरफा नहीं रहने वाला है। बात करें भाबर क्षेत्र की तो यहां भी स्पष्ट नहीं है कि जनता ने किसे अपना आशीर्वाद दिया है। पिछले चुनाव तक जहां भाबर में भाजपा-कांग्रेस के बीच ही कड़ा मुकाबला देखा जाता था, वहीं इस बार इन दोनों ही पार्टियों की चिंता आम आदमी पार्टी व निर्दलीय प्रत्याशियों ने बढ़ा रखी है। चुनाव प्रचार के दौरान साफ देखा जा रहा था कि किस प्रकार भाजपा-कांगे्रस के वोटर कहे जाने वाले आम आदमी पार्टी व निर्दलीय प्रत्याशियों को अपना समर्थन दे रहे थे। हालांकि, कोटद्वार विधानसभा में अपेक्षाओं के उलट कुछ भी हो सकता है। इसका उदाहरण वर्ष 2012 के विधानसभा चुनाव से लिया जा सकता है। जब मुख्यमंत्री पद के दावेदार मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूड़ी भाजपा के टिकट पर कोटद्वार से चुनाव लड़े थे और उन्हें कांग्रेस के सुरेंद्र सिंह नेगी से हार मिली थी।

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