जन्म जन्मांतर के पापों से मुक्ति का सर्वश्रेष्ठ माध्यम है श्रीराम कथा-श्रीमहंत रघु मुनि
हरिद्वार, 8 जून। श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के श्रीमहंत रघु मुनि महाराज ने कहा है कि श्रीराम कथा मानव कल्याण के मार्ग को प्रशस्त करती है और जन्म जन्मांतर के पापों से मुक्ति का सर्वश्रेष्ठ माध्यम है। जो श्रद्धालु भक्त कथा का रसपान कर लेता है। उसका जीवन भवसागर से पार हो जाता है। कनखल स्थित श्री हरेराम आश्रम में आयोजित श्रीराम कथा के दूसरे दिन श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए श्रीमहंत रघु मुनि महाराज ने कहा कि बिना सौभाग्य के श्रीराम कथा श्रवण का अवसर प्राप्त नहीं होता। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए। हरेराम आश्रम के अध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी कपिल मुनि महाराज ने कहा कि प्रभु श्रीराम की कथा एक ऐसा ग्रंथ है। जिससे आपसी कटुता समाप्त होकर समाज में समरसता का वातावरण बनता है। श्रीराम कथा का आयोजन बहुत ही दुर्लभ होता है। देवता भी इसके श्रवण को तरसते हैं। सौभाग्यशाली व्यक्ति को ही संतों के सानिध्य में कथा श्रवण का अवसर प्राप्त होता है। कथा व्यास विजय कौशल महाराज ने कहा कि कलयुग में भगवान राम का नाम ही भगवत प्राप्ति का साधन है। श्रीहरि के गुणों का ध्यान करने से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। सतयुग में भगवान का ध्यान, तप और त्रेता युग में यज्ञ अनुष्ठान, द्वापर युग में पूजा अर्चना से जो फल मिलता था। कलयुग में वह पुण्य श्रीराम नाम के संकीर्तन मात्र से ही प्राप्त हो जाता है। महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम महाराज ने कहा कि कलयुग में भगवान की प्राप्ति का सबसे सरल किंतु प्रबल साधन राम नाम जप ही है। श्रीराम नाम का प्रताप कलयुग में प्रत्यक्ष है। इसके जप से बढ़कर कोई भी साधना नहीं है। महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश महाराज ने कहा कि ईश्वर की अपनी कोई इच्छा नहीं होती। वह तो भक्तों की इच्छा पूरी करने के लिए ही कार्य करते हैं। भगवान श्रीराम अधर्म पाप और अत्याचार के नाश के लिए धरती पर अवतरित हुए। जिस प्रकार प्रकाश से दूर रहना ही अंधकार है। उसी प्रकार प्रभु से दूर रहना भी दुख का कारण है। प्रभु श्रीराम जगत के पालक हैं। उनका जीवन आदर्शों से परिपूर्ण है। भगवान श्रीराम मर्यादा पुरुषोत्तम हैं। व्यक्ति के जीवन में यदि मर्यादा है तो प्रगति के मार्ग स्वयं ही खुल जाते हैं और जीवन धन्य हो जाता है। उन्होंने कहा कि संत महापुरुष एक ऐसा माध्यम हैं। जो प्रभु से व्यक्ति को जोड़ते हैं। इसलिए मनुष्य को अपने जीवन के व्यस्त कार्य से थोड़ा समय निकालकर कथा का श्रवण अवश्य करना चाहिए। इस अवसर पर कथा व्यास विजय कौशल महाराज, डा.जितेंद्र सिंह, विमल कुमार, प्रो.प्रेमचंद्र शास्त्री, नीलाम्बर खर्कवाल, रमेश उपाध्याय, रामचंद्र पाण्डेय, हरीश कुमार, डा.अश्वनी चैहान, मयंक गुप्ता, स्वामी केशव मुनि, स्वामी परमेश्वर मुनि, स्वामी उमेश मुनि, श्रीमहंत अद्वैत दास, महंत रामसागर मुनि, महंत दामोदर दास, महंत जयेंद्र मुनि, महंत निरंजन दास, महंत प्रेमदास, महेंद्र दामोदर शरण दास, महंत निर्मल दास, महामंडलेश्वर स्वामी संतोषानंद, महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश, महंत गोविंद दास, महामंडलेश्वर स्वामी प्रकाशमुनि, महंत श्रवण मुनि, महंत सुतीक्षण मुनि, महंत गंगादास, महंत रंगनाथ दास, महंत सर्वेश मुनि, महंत दुर्गेश मुनि, अनीता शर्मा, सहित कई संत महापुरुष उपस्थित रहे।

 

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