हरिद्वार, 17 जून। निर्जला एकादशी पर गौ गंगा धाम ट्रस्ट के अध्यक्ष स्वामी निर्मलदास महाराज ने गंगा स्नान कर गंगा का दुग्धाभिषेक किया और विश्व कल्याण की कामना की। तारकेश्वर धाम में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए स्वामी निर्मलदास महाराज ने कहा कि राजा भगीरथ की कठोर तपस्या से प्रसन्न होकर मां गंगा ने पृथ्वी पर आयी थी। स्वर्ग से प्रचण्ड वेग के साथ पृथ्वी पर आयी गंगा के वेग को महादेव शिव ने अपनी जटाओं में संभाला था। मां गंगा के दर्शन करने मात्र से ही व्यक्ति का जीवन बदल जाता है। गंगा स्नान करने से कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है और पितरों को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि गौमुख से गंगा सागर तक जाने वाली मां गंगा देश के बड़े भूगाग में कृषि भूमि को सिंचित कर भारत की अर्थव्यवस्था में भी अहम योगदान करती है। इसीलिए गंगा को भारत की जीवन रेखा भी कहा जाता है। उन्होंने कहा कि गंगा करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र तथा भारत का गौरव और देश की सांस्कृतिक पहचान है। श्रद्धालु भक्तों को गंगा स्वच्छता के लिए प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा कि मानव कल्याण के लिए पृथ्वी पर आयी गंगा मानवीय गलतियों के चलते प्रदूषित हो रही है। ऐसे में प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि गंगा को निर्मल, अविरल और स्वच्छ बनाए रखने में सहयोग करें। गंगा में किसी प्रकार का कचरा, पुराने कपड़े, पॉलीथीन आदि ना डालें। स्वामी रविदेव शास्त्री ने कहा कि मां गंगा मैय्या जगत की पालनहार है। सभी देशवासियों का कर्तव्य बनता है कि गंगा की निर्मलता बनए रखें। इस अवसर पर स्वामी हरिहरानंद, महंत कपिल मुनि, स्वामी सुतिक्ष्ण मुनि, स्वामी दिनेश दास, आचार्य पदम प्रसाद सुवेदी सहित कई संत महापुरूषों एवं श्रद्धालु भक्तों ने मां गंगा मैय्या के जयकारे लगाए और यात्रीयों को शर्बत पिलाया।

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