हरिद्वार, 27 जून। श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल के कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने प्रदेश पुलिस महानिदेशक को पत्र प्रेषित कर अखाड़े के संतों को सुरक्षा उपलब्ध कराने की मांग की है। पत्र में कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने बताया कि श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल निर्मल सम्प्रदाय की सर्वोच्च संस्था है। अखाड़े की पूरे भारत में शाखाएं हैं। अखाड़े के श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज संस्था के अध्यक्ष हैं। संस्था का अपना संविधान है तथा संविधान के विपरीत निर्मल संप्रदाय के किसी भी व्यक्ति को कोई कार्य करने का अधिकार नहीं है। लेकिन कुछ तथाकथित संत तथा असामाजिक तत्व अखाड़े की संपत्ति को कब्जाने की नीयत से खुद को अखाड़े के पदाधिकारी व सदस्य बताकर प्रशासन व आम लोगों को गुमराह कर रहे हैं, तथा अखाड़े के अध्यक्ष निर्मल पीठाधीश्वर श्रीमहंत स्वामी ज्ञानदेव सिंह महाराज व अखाड़े के अन्य पदाधिकारियों को जान से मारने की धमकी दे रहे हैं। इसके पूर्व भी तथाकथित संत असामाजिक तत्वों के साथ मिलकर अखाड़े की एक्कड़ कलां शाखा पर कब्जा करने का प्रयास कर चुके हैं। जिसे प्रशासन की मदद से नाकाम कर दिया गया था। कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने बताया कि इन लोगों के खिलाफ कनखल व पथरी थाने में कई संगीन धाराओं में फौजदारी मुकद्मे दर्ज हैं। पिछले कुछ दिनों से तथाकथित संत असामाजिक तत्वों को साथ लेकर हरिद्वार में घूम रहे हैं और कुछ भगवाधारी लोग उन्हें संरक्षण दे रहे हैं। यह लोग अखाड़े के कनखल स्थित मुख्यालय या एक्कड़ कला शाखा में घुसकर किसी अप्रिय घटना को अंजाम दे सकते हैं। कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने बताया कि हरियाणा के पटोदी में हुए अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय अधिवेशन में भी अखाड़े पर कब्जे की नीयत से श्रीमहंत ज्ञानदेव ंिसंह महाराज व अखाड़े के अन्य संतों को धमकाने का मामला अखिल भारती संत समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी अविचलदास महाराज, महामंत्री स्वामी जितेंद्रानन्द महाराज, स्वामी धर्मदेव, भानुपुरा पीठ के शंकराचार्य स्वामी ज्ञानानन्द तीर्थ महाराज सहित समस्त संत समाज के समक्ष रखा गया है। जिसमें अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी अविलचलदास महाराज ने निर्मल अखाड़े के संतों को आश्वासन दिया है। कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने कहा कि अखाड़े व अखाड़े की किसी भी शाखा पर कब्जे के प्रयास को कामयाब नहीं होने दिया जाएगा। पुलिस प्रशासन को इस मामले को गंभीरता से लेते हुए श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज सहित अखाड़े के संतों को सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए और असामाजिक तत्वों के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए।