हरिद्वार, 13 अक्टूबर। ब्रह्मलीन श्रीमहंत सागरानंद सरस्वती महाराज दिव्य आत्मा थे। उनके अचानक चले जाने से श्री पंचायती आनन्द अखाड़ा को जो क्षति पहुंची है। उसे कभी पूरा नहीं किया जा सकता है। उक्त उद्गार आनन्द पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरी महाराज ने भूपतवाला स्थित हरिधाम सनातन सेवा ट्रस्ट में श्रद्धांजलि समारोह में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि ब्रह्मलीन श्रीमहंत सागरानंद महाराज त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति थे। उनके परम शिष्य श्रीमहंत शंकरानंद सरस्वती महाराज अपने गुरू के बताए मार्ग पर चलकर उनके सभी अधूरे कार्यो को पूरा करेंगे। उन्होंने सदा संत महापुरूषों की सेवा की है और उनका पूरा जीवन ईश्वर की भक्ति में लीन रहा है। वह सभी संत महापुरूषों के बहुत ही प्रिय माने जाते थे। उनके अचानक चले जाने से अखाड़े को जो क्षति पहुंची है। उसकी भरपाई करना मुश्किल है। वह कई वर्षो तक श्री पंचायती आनन्द अखाड़ा के अध्यक्ष भी रहे हैं और उनका संत महापुरूषों के साथ-साथ कई राजनेताओं से भी गहरे संबध थे। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन श्रीमहंत सागरानंद सरस्वती महाराज एक महान संत थे। जिन्होंने अपना संपूर्ण जीवन सनातन परंपरांओं का निर्वहन करते हुए व्यतीत किया। राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान के सदैव स्मरण किया जाएगा। श्रीमहंत शंकरानंद सरस्वती अपने गुरूदेव ब्रह्मलीन श्रीमहंत सागरानंद सरस्वती महाराज के मार्ग का अनुसरण करते हुए उनके द्वारा संचालित सेवा प्रकल्पों में निरंतर बढ़ोतरी कर रहे हैं। श्रीमहंत शंकरानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि मेरे गुरूदेव ब्रह्मलीन श्रीमहंत सागरानंद सरस्वती महाराज बहुत ही सरल और दिव्य महापुरूष थे। महापुरूष केवल शरीर त्यागते हैं। उनकी आत्मा अनंतकाल तक समाज का मार्गदर्शन करती रहती है। गुरूदेव ब्रह्मलीन सागरानंद सरस्वती महाराज त्रयम्बकेश्वर और हरिद्वार में अधिक समय बिताते थे। तीस अक्टूबर को ब्रह्मलीन गुरूदेव श्रीमहंत सागरानंद सरस्वती की षोड़शी त्रयम्बकेश्वर में धूमधाम के साथ मनायी जाएगी। ब्रह्मलीन श्रीमहंत सागरानंद सरस्वती को श्रद्धांजलि देने वालों में श्रीमहंत रामरतन गिरी, महंत गिरजानंद सरस्वती, महंत गणेशनंद सरस्वती, महंत सर्वानन्द महाराज, महंत आशुतोष पुरी, महंत रवि पुरी ने ब्रह्मलीन सागरानंद सरस्वती को महान आत्मा बताया।