करोड़ो सनातन हिंदू धर्मावलंबियों के प्रेरणा पुंज थे ब्रह्मलीन जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती-ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी
हरिद्वार, 12 सितम्बर। श्रीमद जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज के ब्रह्मलीन होने पर भीमगोड़ा स्थित जयराम आश्रम में संत समाज ने उन्हें स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज के सानिध्य में श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए त्याग एवं तपस्या की साक्षात प्रतिमूर्ति बताया। जयराम पीठाधीश्वर स्वामी ब्रह्मस्वरूप ब्रह्मचारी महाराज ने कहा कि जगतगुरु शंकराचार्य महाराज करोड़ों सनातन हिंदू धर्मावलंबियों के प्रेरणा के पुंज और उनकी आस्था के ज्योति स्तंभ थे। वे उदार मानवतावादी संत थे। जो राष्ट्रीय भावनाओं से ओतप्रोत थे। सर्व समाज के लिए जिनके मन में असीम करुणा थी। ऐसे जगतगुरु स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज का ब्रह्मलीन होना एक युग का अंत होना है। भारत को अंग्रेजों की दासता से मुक्त कराने के लिए स्वामी जी ने तत्कालीन आंदोलनों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया और राष्ट्र की एकता अखंडता बनाए रखने में अपना सहयोग प्रदान किया। संत समाज के इतिहास में उनका नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा। भारत साधु समाज राज्य सरकार से यह मांग करता है कि उनकी आखिरी इच्छा को दृष्टिगत रखते हुए जौली ग्रांट एयरपोर्ट का नाम जगतगुरु शंकराचार्य महाराज के नाम पर रखा जाए। आनंद पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी बालकानंद गिरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज ने हिंदुओं का मार्गदर्शन कर मोक्ष प्राप्ति के साधन का संचार संपूर्ण मानवता में किया। करपात्री महाराज के सानिध्य में रहकर भारतवर्ष को सनातन संस्कृति के ज्ञान का बोध कराया। ऐसे उच्च कोटि के महान संत भारतीय समाज के इतिहास में सदैव अमर रहेंगे। महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश महाराज ने कहा कि जगतगुरु स्वामी शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती महाराज राष्ट्रीय भावना के कारण श्रेष्ठ सन्यासियों में एक गिने जाते हैं और सनातन संस्कृति के सबसे बड़े धर्म गुरुओं में एक है। जिन्होंने जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने, उत्तराखंड में हाइड्रो प्रोजेक्ट का विरोध सहित यूनिफॉर्म सिविल लॉ की वकालत करने समेत कई मुद्दों की महत्वपूर्ण मांग उठाकर राम मंदिर निर्माण के लिए भी एक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी समाज को एकता के सूत्र में पिरोने में उनका अहम योगदान सभी को स्मरण रहेगा। पूर्व केंद्रीय गृह राज्य मंत्री स्वामी चिन्मयानंद सरस्वती महाराज ने जगतगुरु शंकराचार्य को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए कहा कि सनातन धर्म को शिखर तक पहुंचाने में स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती महाराज का योगदान अतुल्य है। द्वारका और ज्योतिष पीठ के शंकराचार्य के रूप में उन्होंने सदैव समाज का मार्गदर्शन कर धर्म के प्रति जागृत किया और समाज से जात पात ऊंच-नीच जैसी भावना को मिटाकर समरसता का भाव बनाया। एक संत एक स्वाधीनता सेनानी एक आचार्य और सनातन के धर्माचार्य तक उनका व्यक्तित्व हमेशा करोड़ों धर्मावलंबियों के दिल में राज करता रहेगा। संत समाज ऐसी महान विभूति को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उन्हें भारत सरकार से भारत रत्न देने की मांग करता है। इस अवसर पर महंत देवानंद सरस्वती, महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश, स्वामी रविदेव शास्त्री, महंत शिवानंद भारती, महंत गोविंद दास उदासीन, महंत शिवानंद, महंत तूफान गिरी, स्वामी हरिहरानंद, महंत सुतीक्ष्ण मुनि, महामंडलेश्वर स्वामी भगवत स्वरूप, स्वामी ज्ञानानंद शास्त्री, महंत दिनेश दास, महंत कृष्ण मुनि, स्वामी केशवानंद सहित कई संत महापुरुष उपस्थित रहे।