हरिद्वार– मां चंडी देवी मंदिर परमार्थ ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रोहित गिरी महाराज ने नवरात्रि के आठवें दिन श्रद्धालु भक्तों को मां की महिमा का सार समझाते हुए कहा कि नवरात्रि पर्व मां दुर्गा की अवधारणा भक्ति और परमात्मा की शक्ति की आराधना का पर्व है। नवरात्रों में मां भगवती की विशेष आराधना करने से देवी जगदंबा खुश होकर साधक के सभी मनोरथ पूर्ण करती है और उन्हें मनवांछित फल प्रदान करती है। मां चंडी देवी मंदिर के प्रांगण में श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए महंत रोहित गिरी महाराज ने कहा कि नवरात्रि आत्म निरीक्षण और शुद्धि की अवधि है। श्रद्धा पूर्वक मां की आराधना करने से जीवन भवसागर से पार हो जाता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। नवरात्रि में प्रत्येक व्यक्ति अपने अंदर की नकारात्मकता पर विजय प्राप्त कर सकता है और स्वयं के अलौकिक स्वरूप से साक्षात्कार कर सकता है। नवरात्रि के नौ दिन हमें अपने मूल रूप तक वापस ले जाने में अहम भूमिका निभाते हैं। नवरात्रि नौ दिनों का ध्यान सत्संग शांति और ज्ञान प्राप्ति के लिए उपयोग करना चाहिए। वास्तव में नवरात्र व्रत का मूल उद्देश्य है इंद्रियों का संयम और आध्यात्मिक शक्ति का संचय। जो व्यक्ति इस बात को अपने अंतःकरण में उतार लेता है। उसके जन्म जन्मांतर के पापों का शमन होकर आध्यात्मिक और अलौकिक विकास होता है। महंत रोहित गिरी महाराज ने कहा कि भक्तों पर सदैव कृपा करने वाली मां चंडी देवी के प्रति श्रद्धालुओं की भक्ति और समर्पण उनका बेड़ा पार लगाते हैं। नवरात्र में नौ दिन का उपवास प्राकृतिक उपचार के समतुल्य माना जाता है। नवरात्रों प्रकृति में एक विशिष्ट ऊर्जा का संचार होता है। जिसको आत्मसात कर लेने पर व्यक्ति का कायाकल्प हो जाता है। इसलिए नवरात्रों में की गई मां की आराधना सहस्त्र गुना पुण्य फलदाई होती है। इस अवसर पर पंडित पंकज रतूड़ी, पंडित राजेश कुकसाल, पंडित रोहित डबराल, पंडित नवल केस्टवाल, पंडित अमित बेलवाल, विशाल कश्यप, संजय कश्यप, मोगली, मोहित राठौर, मनोज कुमार उपस्थित रहे।

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