हल्द्वानी। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव के लिए मतदान संपन्न हो चुका है। निर्वाचन विभाग के मुताबिक 65़37 प्रतिशत वोटिंग हुई। भौगोलिक परिस्थितियों के आधार पर बने इस राज्य के नौ पहाड़ी जिलों में महिला मतदाता वोटिंग के मामले में पुरुषों से आगे निकल गईं। इसे मातृशक्ति की लोकतंत्र के प्रति दिलचस्पी और जागरूकता के नजरिये से देखा गया।
उत्तरकाशी से लेकर चमोली तक संख्या में ज्यादा होने के बावजूद पुरुष पिछड़ते गए। इसके पीछे एक बड़ी वजह बेरोजगारी भी है। इन नौ जिलों में कुल 4,71,754 युवा बेरोजगार हैं, जिसमें 70 फीसदी से अधिक संख्या पुरुष वर्ग की है। लिहाजा, रोजगार की तलाश में यह लोग पहाड़ के गांवों से शहरों में भटक रहे हैं। यही वजह है कि मतदान के दिन ये बूथ तक नहीं पहुंच सके। भविष्य के लिहाज से भी यह स्थिति चिंताजनक है।
उत्तराखंड के 13 जिलों में विधानसभा की 70 सीटें हैं। निर्वाचन विभाग के आंकड़े बताते हैं कि 62़60 पुरुष और 67़20 प्रतिशत महिला वोटरों ने मतदान किया। देहरादून, हरिद्वार, ऊधम सिंह नगर और नैनीताल जिले में संख्या में अधिक होने के साथ पुरुष मतदाताओं की उपस्थिति बूथ पर भी ज्यादा नजर आई। ऐसा नहीं है कि यहां शिक्षित बेरोजगार नहीं है। इन चार जिलों में 3,70,260 बेरोजगार सेवायोजन कार्यालय में पंजीत हैं। लेकिन पहाड़ की तुलना में संगठित-असंगठित रोजगार के स्त्रोत यहां काफी हैं। सिडकुल के अलावा कृषि क्षेत्र के जरिये भी स्थानीय स्तर पर रोजगार की संभावना यहां है, मगर पहाड़ पर उद्योगों के साथ-साथ खेती की स्थिति भी चिंताजनक है। ऐसे में रोजगार की तलाश मेंं पहाड़ के युवा मजबूरी में मैदान की तरफ बढ़ रहे हैं। यही वजह है कि संख्या में ज्यादा होने के कारण पर्वतीय जिलों में मतदान के मामले में पुरुष पिछड़ गए।

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