नई दिल्ली, एजेंसी। देश के सबसे बड़े बैंक धोखाधड़ी मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) ने एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड और उसके तत्कालीन चेयरमैन व प्रबंध निदेशकाषि कमलेश अग्रवाल और अन्य आरोपितों के ठिकानों पर शनिवार को छापे मारे। इनके खिलाफ भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआइ) के नेतृत्व वाले 28 बैंकों के कंसोर्टियम के साथ 22,842 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी का आरोप है।
अधिकारियों ने बताया कि अग्रवाल के अलावा कंपनी के तत्कालीन कार्यकारी निदेशक संतनाम मुथुस्वामी, निदेशकों अश्विनी कुमार, सुशील कुमार अग्रवाल और रवि विमल नेवतिया एवं एबीजी इंटरनेशनल प्रा़लि़ नामक कंपनी का भी आरोपित बनाया गया है। कंपनी और उसके अधिकारियों के खिलाफ आइपीसी और भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, विश्वासघात और आधिकारिक पद के दुरुपयोग से संबंधित धाराओं में केस दर्ज किया गया है।
सीबीआइ की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि सूरत, भरूच, मुंबई, पुणे इत्यादि 13 जगहों पर निजी कंपनी समेत आरोपितों के परिसरों की शनिवार को तलाशी ली गई, जिसमें कई आपत्तिजनक दस्तावेज बरामद किए गए हैं।
एसबीआइ की तरफ से सबसे पहले आठ नवंबर, 2019 को शिकायत दर्ज कराई गई थी, जिस पर सीबीआइ ने 12 मार्च, 2020 को कुछ स्पष्टीकरण मांगे थे। बैंक ने उसी साल अगस्त में नए सिरे से शिकायत दर्ज कराई थी। डेढ़ साल की जांच पड़ताल के बाद सीबीआइ ने सात फरवरी को एफआइआर दर्ज किया था। अन्घ्र्स्ट एवं यंग द्वारा फोरेंसिक आडिट में सामने आया था कि आरोपितों ने 2012-17 के दौरान धन का दुरुपयोग किया और उसे दूसरे मदों में लगाया।
सीबीआइ ने कहा है कि कंपनी ने लोन में मिली रकम का उपयोग बैंकों द्वारा जारी किए गए उद्देश्यों के अलावा दूसरे उद्देश्यों के लिए किया। एसबीआइ की शिकायत के अनुसार, कंपनी पर बैंक का 2,925 करोड़, आइसीआइसीआइ बैंक का 7,089 करोड़, आइडीबीआइ बैंक का 3,634 करोड़, बैंक आफ बड़ौदा का 1,614 करोड़, पीएनबी का 1,244 और आइओबी का 1,228 करोड़ का बकाया है। कंपनी के लोन अकाउंट को जून 2016 में एपीए घोषित कर दिया गया था।
एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड एबीजी समूह की प्रमुख कंपनी है जो जहाज निर्माण और जहाज की मरम्मत में लगी है। शिपयार्ड गुजरात के दहेज और सूरत में स्थित है।

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